TLS Kya Hai तथा SSLऔर TLS में क्या अंतर है?

TLS Kya Hai – दोस्तों जब आप इन्टरनेट में किसी वेबसाइट को एक्सेस करते हैं तो वह वेबसाइट या तो http या फिर https के साथ साथ ओपन होती है. जो वेबसाइटें https के साथ ओपन होती हैं उसमें SSL या TLS इनस्टॉल होता है.

SSL यानि Secure Socket Layer एक इन्टरनेट प्रोटोकॉल है जो वेब सर्वर और वेब ब्राउज़र के बीच डेटा ट्रान्सफर को encrypt करता है. SSL सुनिश्चित करता है कि यूजर अपना जो भी पर्सनल इनफार्मेशन जैसे ईमेल, अपनी पर्सनल इनफार्मेशन, पेमेंट इनफार्मेशन आदि वेबसाइट में दर्ज कर रहा है वह पूरी तरह से सुरक्षित है. कुल मिलाकर देखें तो SSL वेब सर्वर और ब्राउज़र के बीच सुरक्षित कनेक्शन प्रदान करता है.

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TLS, SSL का ही एक अपडेटेड वर्शन है जिसे कि साल 1999 में Introduce किया गया था. TLS भी वेब सर्वर और वेब ब्राउज़र के बीच कनेक्शन को सिक्योर बनाता है तथा यूजर की पर्सनल डिटेल को एन्क्रिप्ट करता है.

चूँकि SSL के बारे में हम आपको अपने पिछले लेख में बता चुके हैं, इसलिए इस ब्लॉग पोस्ट में हम TLS क्या है, TLS काम कैसे करता है और SSL तथा TLS के बीच के अंतर को अच्छे से समझेंगें.

तो चलिए दोस्तों आपका अधिक समय ना लेते हुए शुरू करते हैं इस ब्लॉग पोस्ट को और सबसे पहले जानते हैं TLS का फुल फॉर्म क्या होता है.

टीएलएस का फुल फॉर्म (TLS Full Form in Hindi)

TLS का फुल फॉर्म Transport Layer Security होता है जिसे ट्रांसपोर्ट लेयर सिक्योरिटी पढ़ते हैं. यह एक क्रिप्टोग्राफ़िक प्रोटोकॉल है जो वेब सर्वर और ब्राउज़र के बीच कनेक्शन को सुरक्षित करता है, तथा यूजर के द्वारा दर्ज की जाने वाली पर्सनल इनफार्मेशन को encrypt करता है.

टीएलएस क्या है (What is TLS in Hindi)

Transport Layer Security एक क्रिप्टोग्राफ़िक प्रोटोकॉल है जो डेटा एन्क्रिप्शन के द्वारा वेब सर्वर और वेब एप्लीकेशन के बीच कनेक्शन को सुरक्षित बनाता है. SSL की भांति ही TLS भी यूजर के गोपनीय डेटा जैसे पासवर्ड, क्रेडिट कार्ड नंबर आदि को encrypt करता है.

TLS, OSI नेटवर्क के एप्लीकेशन लेयर में काम करता है, यह दो नेटवर्क में कम्युनिकेशन करने के लिए end to end सुरक्षा प्रदान करता है. TLS किसी भी भेजे गए डेटा को किसी भी प्रकार की छेड़छाड़ होने से बचाता है. TLS का उपयोग वेब ब्राउज़िंग, VPN, डेटाबेस सर्वर, वेब सर्वर आदि को सुरक्षित करने के लिए किया जाता है.

TLS में वह सभी feature मौजूद हैं जो SSL में होते हैं. आज के समय में TLS का उपयोग व्यापक रूप से ईमेल, इंस्टेंट मैसेजिंग, वोइस ओवर आईपी आदि एप्लीकेशन में होता है.

TLS दो सिक्यूरिटी लेयर के बीच काम करता है TLS रिकॉर्ड प्रोटोकॉल और TLS हैंडशेक प्रोटोकॉल. ये प्रोटोकॉल ग्राहकों और वेब सर्वर के बीच डेटा ट्रान्सफर और कम्युनिकेशन को सुरक्षित करने के लिए सममित और असममित क्रिप्टोग्राफी विधियों का उपयोग करते हैं.

SSL और TLS का इतिहास

SSL का आविष्कार साल 1994 में NetScape कंपनी द्वारा ऑनलाइन लेनदेन को सुरक्षित करने के लिए किया गया था. MD-52 एल्गोरिथ्म का उपयोग करके बनाया गया था.

SSL का पहला वर्शन इतना अधिक सफल नहीं था इसलिए NetScape ने SSL के दुसरे वर्शन 2.0 को साल 1995 में रिलीज़ किया. इस वर्शन के रिलीज़ होने के बाद लोगों ने इसके architecture में बहुत सारी कमियां निकाली, इसलिए NetScape कंपनी ने साल 1996 में इन कमियों को दूर करके SSL का तीसरा वर्शन 3.0 लांच किया. SSL का तीसरा वर्शन पिछले दोनों वर्शन की तुलना में बहुत अधिक बेहतर था.

SSL 3.0 के बाद SSL के नए संस्करण को साल 1999 में TLS 1.0 के रूप में लांच किया गया. इसके बाद साल 2006 में TLS 1.1 को रिलीज़ किया गया. TLS के ये दोनों वर्शन अभी उपयोग में नहीं है.

साल 2008 में TLS 1.2 और साल 2018 में TLS 1.3 को रिलीज़ किया गया. TLS के ये दोनों वर्शन अभी भी उपयोग में हैं. TLS को SSL की तुलना में अधिक सुरक्षित रूप में देखा जाता है. TLS को इंटरनेट इंजीनियरिंग टास्क फोर्स (IETF) के द्वारा स्थापित किया गया था.

SSL / TLS के सभी संस्करण (Version of SSL / TLS)

SSL और TLS के सभी वर्शन तथा उनके रिलीज़ डेट के बारे में जानकारी नीचे टेबल में दी गयी है.

प्रोटोकॉलरिलीज़ तारीख
SSL 1.01994
SSL 2.01995
SSL 3.01996
TLS 1.01999
TLS 1.12006
TLS 1.22008
TLS 1.32018

टीएलएस क्यों जरुरी है?

किसी भी प्रकार का कम्युनिकेशन के लिए इन्टरनेट का उपयोग करते समय सभी को TLS की आवश्यकता होती है. दशकों पहले इन्टरनेट पर ट्रान्सफर किये गए डेटा को एन्क्रिप्ट नहीं किया गया था जिसके कारण हैकर ने कई लोगों के पासवर्ड, यूजरनाम, ईमेल आईडी, अन्य पर्सनल इनफार्मेशन को चुरा लिया था.

इसी समस्या से बचने के लिए कई विचारों के बाद TLS को बनाया गया. TLS की मदद से इन्टरनेट में ट्रान्सफर किये गए डेटा को एन्क्रिप्ट किया जा सकता है, तथा हैकर डेटा के साथ किसी प्रकार की छेड़छाड़ करने में असक्षम रहते हैं.

TLS का इस्तेमाल करने के बाद इंटरनेट पर भेजा गया डेटा कई सुरक्षा एल्गोरिदम द्वारा एन्क्रिप्ट किया जाता है, और यह तीसरे व्यक्तियों को दिखाई नहीं देता है.

आज के समय में इन्टरनेट का उपयोग बहुत अधिक बढ़ गया है आज लगभग सभी काम इन्टरनेट के द्वारा संभव हैं जैसे शॉपिंग करना, बिल का भुगतना करना, इंस्टेंट मैसेज भेजना आदि, इसलिए एक एक वेबसाइट जो यूजर के पर्सनल इनफार्मेशन को लेती है उसे अपनी वेबसाइट में TLS इनस्टॉल करना बहुत जरुरी है.

वेबसाइट में SSL / TLS कैसे लगायें?

आज के टाइम पर सभी भरोसेमंद होस्टिंग प्रदाता कंपनी फ्री में SSL / TLS सर्टिफिकेट प्रदान करती है. जब आप वेबसाइट बनाने के लिए अपनी होस्टिंग में अपने पसंदीदा CMS को इनस्टॉल करेंगें तो SSL / TLS automatic आपकी वेबसाइट में एक्टिव हो जायेगा. आपको अलग से SSL / TLS खरीदने की जरुरत नहीं पड़ेगी.

एसएसएल और टीएलएस में क्या अंतर है?

आर्टिकल को यहाँ तक पढने पर आप समझ गए होंगें कि TLS क्या होता है, अब हम जानेंगें कि एसएसएल और टीएलएस में क्या अंतर है?

TLS, SSL का ही एक अपग्रेडेड वर्शन है और दोनों के काम लगभग समान ही हैं,  लेकिन इन दोनों में कुछ अंतर भी हैं जिनके बारे में नीचे टेबल में हमने आपको बताया है.

SSL TLS
SSL का फुल फॉर्म Secure Socket Layer होता है.TLS का फुल फॉर्म Transport Layer Security होता है.
SSL में मास्टर सीक्रेट बनाने के लिए Message digest का उपयोग किया जाता है.TLS में मास्टर सीक्रेट बनाने के लिए Pseudo Random Function का उपयोग किया जाता है.
SSL में Message Authentication Code (MAC) एल्गोरिदम का उपयोग किया जाता है.TLS में Hashing Message Authentication Code (HMAC) का उपयोग किया जाता है.
TLS की तुलना में SSL कम सिक्योर होता है.TLS उच्च सिक्योरिटी प्रदान करते हैं.
SSL प्रोटोकॉल कॉम्पलेक्स होता है.TLS प्रोटोकॉल बहुत सिंपल होता है.
SSL vs TLS in Hindi

FAQ: TLS Kya Hai

Q – टीएलएस प्रोटोकॉल किसके लिए प्रयोग किया जाता है?

TLS प्रोटोकॉल का इस्तेमाल इन्टरनेट में सुरक्षित रूप से कम्युनिकेशन करने तथा डेटा ट्रान्सफर करने के लिए किया जाता है.

Q – टीएलएस का फुल फॉर्म क्या है?

TLS का फुल फॉर्म Transport Layer Security होता है.

Q – टीएलएस का नवीनतम संस्करण कौन सा है?

TLS का नवीनतम संस्करण TLS 1.3 है जिसे कि साल 2018 में रिलीज़ किया गया था.

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निष्कर्ष,

आज के इस ब्लॉग पोस्ट में हमने TLS Kya Hai, TLS का इतिहास, TLS वेबसाइट के लिए क्यों जरुरी है तथा एसएसएल और टीएलएस में क्या अंतर है? के बारे में पूरी जानकारी प्रदान की है. इस ब्लॉग पोस्ट को पढने के बाद आप TLS को अच्छी प्रकार से समझ गए होंगें और आपके मन में SSL और TLS को लेकर जो डाउट होंगें वह भी दूर हो गए होंगें.

आशा करते है दोस्तों यह आर्टिकल आपको पसंद आया होगा, और अगर यह आर्टिकल आपके लिए उपयोगी रहा तो इसे सोशल मीडिया पर अपने दोस्तों के साथ भी जरुर शेयर करें. तथा ब्लॉग्गिंग, SEO और ऑनलाइन पैसे कमाना सीखने के लिए हमारे ब्लॉग को विजिट करते रहें.

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