दोस्तों क्या आप जानते हैं DNS Full Form in Hindi, DNS Kya Hai, DNS कम कैसे करता है? DNS को किसने बनाया और DNS Record क्या है? यदि नहीं तो इस ब्लॉग पोस्ट को पूरा अंत तक पढ़िए इसमें हमने आपको DNS की सम्पूर्ण जानकारी दी है.
आज हम बड़ी आसान से इन्टरनेट एक्सेस कर पाते हैं, किसी भी वेबसाइट को अपने ब्राउज़र में ओपन कर सकते हैं, हमारे काम की लगभग सभी वेबसाइटों के नाम को याद रख सकते हैं यह सब DNS के कारण ही संभव हुआ है बिना DNS के आप आधुनिक इन्टरनेट को एक्सेस नहीं कर पाते और अपने पसंदीदा वेबसाइटों को नहीं खोज पाते.
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हम अपने दैनिक जीवन में DNS का रोजाना उपयोग करते हैं लेकिन बहुत कम ही लोगों को DNS के बारे में पर्याप्त जानकारी होती है. अगर आपको टेक्नोलॉजी की थोड़ी – बहुत समझ है तो आप यह जानते ही होंगें कंप्यूटर इंसानों की भाषा को नहीं समझते हैं यह केवल नंबरों को ही समझ पाते हैं.
इन्टरनेट में जब भी आप किसी वेबसाइट या वेबपेज को ओपन करने के लिए ब्राउज़र में सर्च करते हैं तो आपकी Request को समझने के लिए कंप्यूटर को नंबर की आवश्यकता होती है जिसे IP एड्रेस कहा जाता है और DNS ही आपके द्वारा सर्च किये वेबसाइट को IP एड्रेस में कन्वर्ट करके कंप्यूटर को समझाता है.
DNS के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त करने के लिए लेख को अंत तक पढिये, तो चलिए बिना किसी देरी के शुरू करते हैं आज का यह लेख और जानते हैं DNS क्या है विस्तार से.
डीनएस का पूरा नाम (DNS Full Form in Hindi)
DNS का पूरा नाम Domain Name System होता है जिसे कि हिंदी में डोमेन नाम प्रणाली कहा जाता है.
- DNS full form in English – Domain Name System
- DNS full form in Hindi – डोमेन नाम प्रणाली
डीनएस क्या है (What is DNS in Hindi)
“DNS इन्टरनेट में इस्तेमाल की जाने वाली एक प्रणाली है जो डोमेन नाम को IP एड्रेस में बदलती है.” DNS के द्वारा ही हम अपनी इच्छानुसार किसी भी वेबसाइट का डोमेन नाम वेब ब्राउज़र में सर्च करके उस वेबसाइट से कनेक्ट हो पाते हैं तथा वेबसाइट को एक्सेस कर सकते हैं.
जितने भी डिवाइस में इन्टरनेट इस्तेमाल किया जाता है उन सभी का अपना एक यूनिक IP होता है जो कि नंबर के रूप में होता है, जैसे कि (198.47.18.15). यह IP एड्रेस Machine Readable होता है. लेकिन एक Human के लिए इन्टरनेट पर मौजूद सभी वेबसाइटों का IP एड्रेस याद रखना संभव नहीं है इसलिए डोमेन नाम को बनाया गया है. डोमेन नाम शब्दों के रूप में होता है जिसे इंसान याद रख सकता है.
जब यूजर अपने ब्राउज़र में किसी भी डोमेन नाम को सर्च करता है तो DNS शब्दों में लिखे उस डोमेन नाम को IP एड्रेस में बदल देता है, और फिर कंप्यूटर IP एड्रेस को समझकर वेबसाइट को यूजर के सामने ब्राउज़र पर दिखाता है.
आसान शब्दों में कहें तो DNS एक ऐसा सिस्टम है जो डोमेन नाम का अनुवाद कंप्यूटर के द्वारा समझे जाने वाले IP एड्रेस में करता है.
डीनएस का इतिहास (History of DNS in Hindi)
डोमेन नेम सिस्टम (DNS) का आविष्कार साल 1980 में अमेरिका के कंप्यूटर वैज्ञानिक Paul Mockapetris ने किया था. जब इन्टरनेट की शुरुवात हुई थी तो इतनी अधिक वेबसाइटें इन्टरनेट पर मौजूद नहीं थी इसलिए IP एड्रेस के द्वारा ही किसी भी वेबसाइट को एक्सेस किया जा सकता था.
लेकिन धीरे – धीरे इन्टरनेट में विकास हुआ और इसका आकार भी बढ़ गया, इन्टरनेट पर इतनी वेबसाइट बन गयी कि जिन्हें IP एड्रेस के द्वारा याद रखना असंभव होने लगा, इन्हीं समस्याओं को देखते हुए DNS की शुरुवात हुई. DNS के आने से यूजर अपनी पसंद के अनुसार वेबसाइट को एक्सेस करने में सक्षम हो सके.
डीनएस काम कैसे करता है (How DNS Work in Hindi)
अगर आपको अभी भी DNS Kya Hai अच्छे से समझ नहीं आया तो DNS की कार्यप्रणाली को अच्छे से समझें. जैसा कि हमने आपको ऊपर बताया सब कुछ जो भी इन्टरनेट से जुड़ा है जैसे वेबसाइट, कंप्यूटर, सर्वर, स्मार्टफोन आदि इन सभी का एक यूनिक IP एड्रेस होता है. यह IP एड्रेस ही दुनियाभर में वेब के माध्यम से कम्युनिकेशन करके के लिए प्रत्येक डिवाइस की पहचान करता है.
चूँकि IP एड्रेस नंबर के रूप में होते हैं जिसे कि एक आम इंसान के लिए याद रख पाना मुश्किल है. इस समस्या के समाधान के लिए इंसानों के लिए याद रखने योग्य डोमेन नाम बनाये गये. लेकिन मशीनें केवल IP एड्रेस को समझती है इसलिए एक अनुवादक की जरुरत पड़ी जो डोमेन नाम को IP एड्रेस में कन्वर्ट करके मशीनों को समझा सके. इसी अनुवादक को DNS कहा जाता है.
जब यूजर अपने ब्राउज़र में कोई भी डोमेन नाम सर्च करता है (जैसे www.example.com) तो DNS इस डोमेन नाम को IP एड्रेस में बदल देता है.
कंप्यूटर IP एड्रेस को समझकर यह पता करता है कि यूजर किस वेबसाइट को एक्सेस करना चाहता है और IP एड्रेस को उस वेबसाइट के होस्ट सर्वर से कनेक्ट कर देता है. जिसके बाद www.example.com वेबसाइट यूजर के ब्राउज़र में ओपन हो जाती है और यूजर उसे एक्सेस कर सकता है.
DNS को आप इन्टरनेट की फोनबुक की तरह समझ सकते हैं क्योंकि यह आपके मोबाइल की फोनबुक की तरह ही काम करता है. जैसे आप अपने फोनबुक में सभी Contact Number को नाम से Save करते हैं और किसी नंबर पर कॉल या मैसेज करने के लिए नंबर के स्थान पर नाम को याद रखते हैं और फोनबुक में भी नाम को ही सर्च करते हैं उसी प्रकार इन्टरनेट में किसी भी वेबसाइट को एक्सेस करने के लिए IP एड्रेस के स्थान पर डोमेन नाम को याद रखा जाता है. तो कुछ इस प्रकार से DNS काम करता है.
DNS Record क्या होता है
DNS Kya Hai को समझ लेने के बाद चलिए अब DNS रिकॉर्ड को भी समझ लेते हैं. DNS के पास डोमेन नाम और IP एड्रेस की जानकारी व्यवस्थित तरीके से मौजूद रहती है जिसे कि DNS Record कहा जाता है. DNS रिकॉर्ड कई प्रकार के हो सकते है जैसे A, AAAA, MX, TXT, CNAME आदि, इन सभी का काम भी भिन्न – भिन्न होता है.
- A Record – यह डोमेन नाम का IPv4 में अनुवाद करता है.
- AAAA Record – यह डोमेन नाम का IPv6 में अनुवाद करता है.
- CNAME Record – CNAME का पूरा नाम Canonical Name Record है. यह एक उपनाम नाम को एक सच्चे या विहित डोमेन नाम से मैप करता है
- MX Record – यह Mail Exchange रिकॉर्ड डोमेन से जुड़े मेल सर्वर की पहचान करता है.
- TXT Record – TXT का पूरा नाम Text Record है. इसका इस्तेमाल कई कामों के लिए किया जाता है, जैसे Domain ownership, डोमेन को स्पैम से बचाने में आदि.
FAQ: DNS Kya Hai
Q – DNS क्या करता है?
DNS का इस्तेमाल इन्टरनेट में किया जाता है, यह मानव क्व द्वारा पठनीय डोमेन नाम को कंप्यूटर के द्वारा पठनीय IP एड्रेस में बदलता है.
Q – DNS का पूरा नाम क्या है?
DNS का पूरा नाम Domain Name System है
Q – DNS का आविष्कार किसने किया?
DNS का अविष्कार 1980 में अमेरिकी कंप्यूटर वैज्ञानिक Paul Mockapetris ने किया था.
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निष्कर्ष: DNS in Hindi
इस लेख में हमने जाना कि DNS Kya Hai तथा DNS कैसे काम करता है इसके साथ ही हमने आपको DNS Full Form in Hindi, DNS Record तथा DNS के इतिहास के बारे में भी जानकारी दी है. हमें पूरी उम्मीद है कि इस आर्टिकल को पढ़कर आप DNS को अच्छे से समझ गए होंगें. यदि आपको यह लेख पसंद आया तो इसे सोशल मीडिया पर अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करें.
लेख को अंत तक पढने के लिए धन्यवाद||