Page Experience Kya Hai – दोस्तों गूगल अपने यूजर के एक्सपीरियंस को बेहतर करने के लिए या कहें तो अपने यूजर को उनकी Query का संतोषपूर्ण जवाब देने के लिए अपने अल्गोरिथम में नए नए अपडेट करता है. इसी कड़ी में गूगल ने Mid 2021 में Page Experience अल्गोरिथम को Roll Out किया.
इस अपडेट में गूगल ने यूजर एक्सपीरियंस को बेहतर बनाने के अधिक प्रयास किये हैं. अगर आप एक ब्लॉगर, वेबमास्टर या SEO Person है तो आपको गूगल की इस नयी अपडेट Page Experience के बारे में पूरी जानकारी होनी चाहिए.
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अगर आपके वेबपेजों का Good Page Experience है तो आपकी वेबसाइट की रैंकिंग improve होगी. इस ब्लॉग पोस्ट में हम पेज एक्सपीरियंस क्या है, पेज एक्सपीरियंस को कौन से फैक्टर प्रभावित करते हैं और अपनी वेबसाइट का पेज एक्सपीरियंस कैसे सुधारें के बारे में डिटेल से जानेंगें.
तो चलिए बिना समय गंवाए शुरू करते हैं आज का यह आर्टिकल.
पेज एक्सपीरियंस क्या है (What is Page Experience)
Page Experience गूगल अल्गोरिथम की एक लेटेस्ट अपडेट है जिसमें गूगल यह measure करता है कि आपके वेबपेज यूजर के लिए कितने Useful हैं. यानि कि जो यूजर आपके वेबपेज पर आ रहा है उसे वेबपेज एक्सेस करने में किसी प्रकार की समस्या तो नहीं आ रही है.
Page Experience में कई मेट्रिक्स आती हैं जैसे कि कोर वेब वाइटल, मोबाइल फ्रेंडलीनेस, सिक्योरिटी, Ad एक्सपीरियंस और SSL सर्टिफिकेट. अगर आपकी वेबसाइट पेज एक्सपीरियंस के सभी मैट्रिक्स पर खरी उतरती है तो गूगल आपको Good Page Experience देता है.
आपको बता दूँ पेज एक्सपीरियंस अपडेट पेज लेवल कर काम करती है, यानि आपको अपनी वेबसाइट में मौजूद हर एक वेबपेज के पेज एक्सपीरियंस को सुधारना होगा.
अगर हम पेज एक्सपीरियंस का मुख्य पॉइंट देखें तो इस अपडेट में गूगल ने कोशिस की है कि उन्हीं वेबपेज को सर्च रिजल्ट में दिखाया जाय जिन्हें एक्सेस करने में यूजर को किसी प्रकार की समस्या ना आये. आप गूगल सर्च कंसोल में Experience वाले सेक्शन में अपनी वेबसाइट का पेज एक्सपीरियंस देख सकते हैं.
गूगल ने मई 2020 में घोषणा की थी कि वह पेज एक्सपीरियंस मौजूदा सिग्नल के साथ कोर वेब वाइटल को Add करेगा. इसके बाद गूगल ने जून 2021 में पेज एक्सपीरियंस को रोल आउट किया.
सर्च रिजल्ट में अनचाही गड़बड़ी से बचने के लिए पेज एक्सपीरियंस अपडेट को पूरी तरह रोल आउट होने में 1 साल का समय लग गया था. आज के तारीख में पेज एक्सपीरियंस के सभी सिग्नल वेबसाइट की रैंकिंग के लिए काफी महत्वपूर्ण हैं.
Page Experience क्यों जरुरी है?
शुरुवात में SEO बहुत ही आसान हुआ करता था, आप अपनी वेबसाइट में कुछ बेसिक SEO effort करके आसानी से अपनी वेबसाइट को रैंक करवा सकते थे जैसे कीवर्ड प्लेसमेंट, बैकलिंक बनाकर आदि.
लेकिन आज के समय में SEO बहुत एडवांस हो चुका है. गूगल यूजर एक्सपीरियंस के आधार पर ही किसी वेबपेज को रैंक करता है. जो वेबपेज यूजर की Query का संतोषपूर्ण जवाब देता है और जिसे एक्सेस करना यूजर के लिए आसान होता है गूगल उन्हीं वेबपेज को अच्छी रैंकिंग देता है.
कौन सा वेबपेज यूजर के लिए अच्छा है इसके लिए गूगल पेज एक्सपीरियंस रैंकिंग सिग्नल का उपयोग करता है, इसलिए Page Experience रैंकिंग सिग्नल बहुत जरुरी है.
Page Experience Signal क्या हैं?
किसी भी वेबपेज के Page Experience को प्रभावित करने के लिए 5 Important Signal हैं, जो वेबपेज इन सभी सिग्नल को पास करेगा उसका Page Experience अच्छा होगा. चलिए जानते हैं Page Experience के सभी महत्वपूर्ण सिग्नल के बारे में.
#1. Core Web Vitals
Core Web Vitals गूगल पेज एक्सपीरियंस का पहला सिग्नल है जिसे कि गूगल ने मई 2020 में लांच किया था. कोर वेब वाइटल LCP, FID और CLS से मिलकर बना हुआ हैं और यह वेबसाइट की स्पीड, responsiveness और visual stability को मापते हैं.
अगर आपके वेबपेज में ये तीनों मैट्रिक्स Good केटेगरी में है तो आपका Page Experience Score भी अच्छा होगा. कोर वेब वाइटल को समझने के लिए इन तीनों को अच्छे से समझते हैं –
LCP (Largest Contentful Paint) – आपके वेबपेज में जो सबसे बड़ा भाग है उसे लोड होने में कितना समय लगता है इसका measure LCP के द्वारा किया जाता है. पेज एक्सपीरियंस की गाइडलाइन के अनुसार LCP स्कोर 2.5 सेकंड या इससे कम होना चाहिए.
FID (First Input Delay) – जब कोई यूजर आपकी वेबसाइट में आता है और वह वेबसाइट के किसी भी element पर क्लिक करता है जैसे बटन, लिंक, इमेज आदि तो वह element response करने में कितना समय लेता है इसे FID के द्वारा measure किया जाता है. पेज एक्सपीरियंस की गाइडलाइन के अनुसार FID 100 MS (मिलीसेकंड) के अन्दर होना चाहिए.
CLS (Cumulative Layout Shift) – CLS के द्वारा वेबपेज के visual stability को measure किया जाता है. जैसे कोई यूजर आपकी वेबसाइट पर आता है तो आपके वेबसाइट में कुछ element ऐसे होते हैं जो लोड होने में थोडा समय लेते हैं, जिसके कारण वेबसाइट का लेआउट शिफ्ट होता है, इसे ही CLS कहते हैं. ज एक्सपीरियंस की गाइडलाइन के अनुसार LCP स्कोर 0.1 होना चाहिए.
#2. Mobile Usability
Page Experience का दूसरा सिग्नल है Mobile Usability, अर्थात आपकी वेबसाइट मोबाइल फ्रेंडली है या नहीं.
अगर आपकी वेबसाइट मोबाइल फ्रेंडली नहीं है, यानि कि वेबसाइट मोबाइल पर लोड होने में अधिक समय लेती है, या मोबाइल स्क्रीन पर फिट नहीं बैठती है तो आपके वेबसाइट का पेज एक्सपीरियंस स्कोर खराब होगा.
आप जानते ही होंगें आज के समय में अधिकांश वेबसाइट मोबाइल डिवाइस के द्वारा ओपन की जाती है, इसलिए यूजर के एक्सपीरियंस के लिए सभी वेबसाइटों का मोबाइल फ्रेंडली होना आवश्यक है.
आप गूगल के Mobile Friendly Test Tool के द्वारा पता कर सकते हैं कि आपके वेबपेज मोबाइल फ्रेंडली है या नहीं. या फिर गूगल सर्च कंसोल से अपनी वेबसाइट के ऐसे पेज के बारे में पता कर सकते हैं जो मोबाइल फ्रेंडली नहीं हैं.
#3. Security Issue
पेज एक्सपीरियंस में तीसरे नंबर पर आता है Security Issue. इसमें गूगल आपके वेबपेज के सुरक्षा सम्बंधित मामलों की जांच करता है जैसे कि आपकी वेबसाइट यूजर के लिए सुरक्षित है या नहीं, क्या यूजर आपकी वेबसाइट में अपनी confidential इनफार्मेशन को fill कर सकता है, आपकी वेबसाइट को कोई पेनल्टी लगी है इत्यादि सभी की जांच गूगल करता है.
अगर आपकी वेबसाइट पूरी तरह से सुरक्षित है तो पेज एक्सपीरियंस के Security Issue सिग्नल में आपकी वेबसाइट पास हो जाती है. आप गूगल सर्च कंसोल के Security and Manual Action वाले सेक्शन से अपनी वेबसाइट के Security Issue को चेक कर सकते हैं.
#4. HTTPS
HTTPS पेज एक्सपीरियंस का एक महत्वपूर्ण सिग्नल है, साथ ही यह एक रैंकिंग फैक्टर भी है. HTTPS को हम SSL Certificate के नाम से भी जानते हैं.
आपकी वेबसाइट में SSL Certificate लगा होना बहुत आवश्यक है. जिस वेबसाइट में SSL सर्टिफिकेट लगा होता है वह https के साथ ओपन होती है और जिन वेबसाइट में SSL सर्टिफिकेट नहीं लगा होता है वह http के साथ ओपन होती है.
SSL सर्टिफिकेट सुनिश्चित करता है कि आपकी वेबसाइट यूजर के लिए सुरक्षित और भरोसेमंद है. वैसे जब आप किसी अच्छी कंपनी से होस्टिंग खरीदते हैं तो आपकी फ्री में SSL सर्टिफिकेट मिल जाता है.
#5. Ad Experience
अगर आपके वेबपेज में लगे विज्ञापनों से यूजर को वेबपेज एक्सेस करने में कोई समस्या आती है तो गूगल उसे खराब पेज एक्सपीरियंस काउंट करता है.
उदाहरण के लिए कोई यूजर आपकी वेबसाइट पर आता है तो उसे बार बार Pop Up Ads दिख रहे हैं, या फिर आपके वेबपेज में इतने अधिक Ads लगे हैं जिसके कारण यूजर कंटेंट नहीं पढ़ पा रहा है तो आपका पेज एक्सपीरियंस खराब माना जायेगा.
वेबसाइट में बहुत अधिक विज्ञापन लगाने से आपकी रैंकिंग भी डाउन होती है क्योंकि अगर यूजर कंटेंट नहीं पढ़ पा रहा है तो वह वेबसाइट से तुरंत बाउंस बैंक कर जायेगा और वेबसाइट का बाउंस रेट बढ़ जायेगा. बाउंस रेट बढ़ने से रैंकिंग भी डाउन होगी. इसलिए अच्छे Page Experience के लिए आप अपनी वेबसाइट में Ads प्लेसमेंट सही से करें.
Page Experience के कारण अब आपको AMP की जरुरत नहीं पड़ेगी, अगर आप अपनी वेबसाइट में AMP का इस्तेमाल नहीं करते हैं तो भी आपको वेबसाइट के मोबाइल फ्रेंडली होने के बारे में ज्यादा चिंता नहीं करनी पड़ेगी. आपको बस अपने पेज एक्सपीरियंस सिग्नल को Improve करना होगा.
अपनी वेबसाइट का पेज एक्सपीरियंस कैसे सुधारें
आपकी वेबसाइट के Page Experience खराब होने के कई कारण हो सकते हैं, इसलिए पहले आपको पता लगाना होगा कि आपकी वेबसाइट का पेज एक्सपीरियंस किस कारण से ख़राब है.
वेबसाइट के पेज एक्सपीरियंस में आने वाले Issue को आप गूगल सर्च कंसोल से या फिर Pagespeed Insight Tool के द्वारा चेक कर सकते हैं.
वेबसाइट के पेज एक्सपीरियंस को सुधारने के लिए कुछ बेसिक पॉइंट निम्नलिखित हैं –
- एक अच्छी और फ़ास्ट स्पीड वेब होस्टिंग खरीदें.
- वेबसाइट को मोबाइल फ्रेंडली बनायें.
- वेबसाइट की लोडिंग स्पीड सही करें.
- वेबसाइट में SSL सर्टिफिकेट इनस्टॉल करें.
- वेबसाइट की सिक्यूरिटी पर ध्यान दें.
- High Quality कंटेंट लिखें.
- वेबसाइट में अनचाहे या बहुत अधिक विज्ञापन लगाने से बचें.
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निष्कर्ष: Page Experience Kya Hai
दोस्तों आज के इस ब्लॉग पोस्ट में हमने आपको Page Experience Kya Hai, पेज एक्सपीरियंस के सिग्नल और पेज एक्सपीरियंस को सुधारने के लिए कुछ टिप्स दी है. हमें पूरी उम्मीद है कि यह आर्टिकल आपको पसंद आया होगा.
अगर आपके पास Page Experience से जुड़े कोई सवाल हैं तो हमें कमेंट बॉक्स में बता सकते है, मैं आपके सवालों का जल्दी जवाब देने की कोशिस करूँगा. अंत में आपसे निवेदन करूँगा कि इस आर्टिकल को अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करें.